
बचपन में कई किस्से अंतरिक्ष को लेकर हम सबने कभी न कभी सुने होंगे, बड़े-बुजुर्गों की कहानियों में अक्सर अंतरिक्ष,चांद, तारें, धूमकेतू, जैसे शब्द हम सुनते थे. उस वक्त सोचते थे कि ये तारे कैसे होंगे कब इसके पास पहुंच सकेंगे. जैसे-जैसे बड़े हुए तो भूगोल ने इसकी बारिकियों को समझाया लेकिन अब साइंस के चलते अब कोई भी आराम से और सुरक्षित अंतरिक्ष की यात्रा कर सकता है. इस बात की कल्पना कभी हम करते थे.जो अब पॉसीबल हो रही है.
15 August 1969 को हुए स्थापित ISRO अब इतिहास रचने को तैयार है.क्योंकि इसरो की बदौलत भारत में स्पेस टूरिज्म की दिशा में तेजी से काम हो रहा है…ऐसा नहीं कि भारत ही स्पेस टूरिज्म पर वर्क कर रहा है. अमेरिका, चीन, जापान सहित कई देश इस वक्त स्पेस टूरिज्म पर काम कर रहे हैं.इस बीच ह्यूमन स्पेस मिशन को लेकर बड़ी जानकारी सामने आई. टेस्ट रॉकेट के साथ चार अबॉर्ट मिशन में से पहला गगनयान यानी LVM3-G1 मिशन इस साल मई में जाएगा… इस बारे में लोकसभा में लिखित जवाब देते हुए मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रोग्राम Testing Stage में एंट्री कर चुका है. पहला परीक्षण रॉकेट मिशन, TV-D1 मई 2023 के लिए निर्धारित है. जबकि दूसरा परीक्षण यान TV-D2 मिशन 2024 की पहली तिमाही में होगा, जो गगनयान (LVM3-G1) का पहला मानव रहित मिशन है.’
ऐसे में ये जानना जरूरी है कि आखिर ये गगनयान क्या है. इसरो अध्यक्ष एस सोमनाथ के मुताबिकगगनयान स्पेस क्राफ्ट पूरी तरह से भारत में बना है.
ये Crew Module है. इसके अंदर ही अंतरिक्षयात्री बैठकर Around the Earth 400 किलोमीटर की ऊंचाई वाली निचली कक्षा में चक्कर लगाएंगे.
Crew Module डबल दीवार वाला अत्याधुनिक केबिन है, जिसमें कई प्रकार के नेविगेशन सिस्टम, हेल्थ सिस्टम, फ़ूड हीटर, फूड स्टोरेज, टॉयलेट समेत काफी कुछ होता है.
ये गगनयान की ‘हीट शील्ड’ है जो Atmospheric friction से पैदा होने वाली गर्मी से बचाएगा. इसके अलावा समुद्र में लैंडिंग के समय पानी की टकराहट से लगने वाली चोट से भी बचाएगी.
गगनयान के इस ‘क्रू मॉड्यूल’ को समुद्र में स्प्लैश डाउन करते समय उसके पैराशूट खुल जाएंगे. ताकि इसकी लैंडिंग सुरक्षित हो सके. इसके उतरते ही Indian Coast Guard या इंडियन नेवी के पोत इसे संभालकर उठा लेंगे.
केंद्र सरकार ने पिछले साल ही गगनयान प्रोजेक्ट के लिए 10 हजार करोड़ रुपए जारी किए थे. ये भारत का इकलौता अंतरिक्ष मिशन है. गगनयान स्पेस फ्लाइट मिशन के तहत अंतरिक्ष यात्रियों को स्पेस में भेजा जाएगा. हम बात कर रहे थे अंतरिक्ष यात्रा की. दरअसल ISRO अंतरिक्ष पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए 6 करोड़ रुपये में लोगों को अंतरिक्ष की यात्रा कराएगी. ये जानकारी ISRO के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने दी…. उन्होंने बताया कि इस योजना को शुरू करने के लिए 2030 तक का लक्ष्य रखा गया है.. फिलहाल इस बारे में जानकारी उपलब्ध नहीं है कि यात्री अंतरिक्ष में कितनी ऊंचाई या किस कक्षा तक जाएंगे और कितना समय बिताएंगे…. ISRO अंतरिक्ष पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए इस योजना को निजी कंपनियों के साथ मिलकर बनाएगी…. बता दें, अंतरिक्ष क्षेत्र में गैर-सरकारी संस्थाओं को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार ने एक एकल खिड़की एजेंसी के रूप में इन-स्पेस का गठन किया है…. वर्जिन गैलेक्टिक और स्पेस-X अंतरिक्ष पर्यटन की दिशा में पहले से काम कर रही हैं. अब इसकी यात्रा करने वाले खुद को अंतरिक्ष यात्री कह सकेंगे.. जो अपने आप में एक बड़ी बात है.